अलां मतलबी है,,
फलां मतलबी है...
और मैं कहता हूँ,
मतलबी दुनिया है साहेब,
कई महीनों तक गणेश जी को पूजा,
कई बार इन के चरणों को छू कर तिलक माथे लगाया,
कई बार इन्ही के आसरे दिन को गुजारा ....
पर जैसे ही गणेशजी ने चमक खोई ...
तुरंत बाहर का रास्ता दिखाया..
हम तो इंसान है साहेब,
जब दुनिया भगवान को नहीं बकशती ...
तो हम जैसों को कहाँ बक्शेगी,
निचोड़ लो जितना निचोडना है,
उसके बाद फैंक दो,
माने - दूध से मक्खी माफिक.
ज़माना ऐसा ही है भाई!
ReplyDeleteमेरी कुछ क्षणिकाएं कुछ इसी विषय पर हैं.... "दिवाली के बाद : कुछ चित्र" ... अच्छा लगा कि आप जैसा मैं भी सोच सका
ReplyDeleteसच है!
ReplyDeletewah...bahut khoob saheb...karara mara...lajabab...
ReplyDeleteमौजूदा दौर में इंसानों की मतलबपरस्ती पर चोट करती रचना।
ReplyDeleteबहुत खूब .....
यथार्थपरक पंक्तियाँ. बधाई.
ReplyDeleteyahi to insaan hai....
ReplyDeletejo sirf apna hai
jiska koi nahi
yaha tak ki
na hi uska koi bhagwaan hai...
समाज की हकीकत
ReplyDeleteबहुत सुंदर पोस्ट
शुभकामनाएं
बिलकुल सही विचार हैं
ReplyDeleteबेचारे गणेश जी ... इन्हें क्या पता था की इंसान ही भगवान बन जायगा ....
ReplyDeleteप्रकृति निर्मित चीज़ें हों या मानव निर्मित, सब का हश्र एक जैसा होता है. लेकिन आस्था को सत्य का आईना दिखाना बहुत बड़ी बात है.
ReplyDeleteहे भगवान ! कितने निर्मोही हैं या स्वार्थी हैं हम !
ReplyDeleteहमें तो पता है बाबा जी
ReplyDeleteबहुत खूब .....
ReplyDeleteसही कहा दीपक जी, ये दुनिया मतलबी ऐसी ही है.
ReplyDeleteबहरहाल आपके इस ब्लॉग पर आप की नज़र ने काफी बढ़िया फोटो सजा रहे है. बहुत सुंदर.