Sunday 30 October 2011

बोले छठ मैया की जय


मिसिर जी (श्री महाबल मिश्र, सांसद) न आये तो क्या, 
२ करोड़ रुपे देंगे - पर साल बोले थे तो क्या,
बाजुएँ हमारी सशक्त है, 
हौंसले हमारे बुलंद हैं,
बोले छठ मैया जी जय..

हम खुद ही सफाई करेंगे, 


लिपाई ... सबसे सुंदर लगे घाट अपना 
बोले छठ मैया की जय 

लो जी, सांसद जी को पता चला, लोग नाराज़ है,
तुरंत फुरंत जे सी बी बुलाया गया,
तालाब के किनारे किनारे एक नाला सा खुदवाया गया,

बोले छठ मैया की जय
 
जी, इ ट्यूबवेल ....
तेज़ धार पानी की,
नाले को भरा जाएगा,

बोले छठ मैया की जय 


Saturday 22 October 2011

क्रांति और मौत


हुक्म राजघराने से निकलता है
त्रस्त जनता होती है
जनता क्रांति करती है,
राजघरानों का अंत करती हैं -
..... क्रांतियां
राजा की हत्या होती है,
मारे जाते हैं,
क्रांतिकारियों द्वारा...
फिर यही क्रांतियां
तानाशाह को जन्म देती हैं.
और क्रांतिकारी भी
तानाशाह बन जाते हैं
आखिर वो भी
मारे जाते हैं,
कई बार मारे जाने वाले
तानाशाह नहीं भी होते...
सिपाही मात्र होते हैं,
पर मारे जाते हैं,
क्रांति के सिपाहियों द्वारा...
पर तानाशाह कभी मरते नहीं
सदा मारे जाते हैं..
जनता मरती है....
कुत्ते की मौत कहते हैं जिसे,
तानाशाह को वो मौत भी नहीं मिलती
क्योंकि वो तो रिज़र्व रहती है
रोड पर सोनेवाले के लिए
सुखपूर्वक मरने के लिए.