Saturday 28 January 2012

एक था बचपन - प्यारा सा बचपन ....







मेरे ही किस्म के जोगी ठाकुर थे ..... सुनिए आशीर्वाद फिल्म का ये गीत : एक था बचपन ... प्यारा सा बचपन.



आपने पता नहीं गीत सुना या नहीं - पर ये भावुक था. बचपन..... इन चित्रों को देखिये और सोचिये इस बचपन को खुश रहने के लिए पैसे की जरूरत नहीं है. समर्थ पापा के पास समय नहीं है... वो महरूम है - ऐसी जगह पापा जाने नहीं देते ... बचपन पर पहरा है... उ कम कमाने वाले ... सभ्रांत घरों में नौकरी करने वाले - अपने बच्चो को ज्यादा समय देते हैं - और उन बच्चों का बचपन ज्यादा खुशहाल होता है... टचवूड .... 

Monday 23 January 2012

मक्के दी रोटी ते सरसों दा साग


लाल मिर्च दे अचार नाल  - मक्के दी रोटी ते सरसों दा साग
घी कम है - क्योंकि शरीर में कोलेस्ट्रोल ज्यादा है.
फिर भी, स्वाद ही स्वाद

इस देसी खाने का ही राज़ है कि पिज्जा के लिए स्वाद ग्रंथि अभी तक विकसित नहीं हुई.


Saturday 21 January 2012

जख्मी जूतों का अस्तपताल - व्हाट एन आइडिया सरजी.


जी, डॉ रामजी लाल  कहते हैं; इनकी देश के बाहर कोई ब्रांच नहीं; हाँ देश में दू ब्रांच हैं - एक चंडीगढ़ और दूसरे शिमला.... या फिर कहीं और लेकिन तीसरी नहीं; जूतों के भयंकर से भयंकर जख्म भी ठीक कर देते हैं - पर बात ये है कि आजकल मरीज़ कम आते हैं. जिन लोगों के जूते भयंकर तरीके से जख्मी होते हैं उनके पास इलाज के लिए पैसा नहीं होता - और सेठ लोगों के जूते जख्मी नहीं होते. बूढ़े होने से पहले ही रेटाइर कर दिए जाते हैं.

हमारे देश में जूतों के डॉ बनने के लिए कोई डिग्री तो नहीं है - पर पूर्णता: अनुभवी चिकित्सक बनते बनते उम्र निकल जाती है... बाकि आजकल की युवा पीढ़ी को इस व्यवसाय से नफरत है - दुसरे हाथ काले करने वाले कार्यों की तरह... या फिर किसानी की तरह. पढ़ लिख तो सभी गए है - और काल सेंटर वाले तन्खवाह भी अच्छी देते हैं...  छोडिये जी  डॉक्साब पर ध्यान केंद्रित करते हैं.... इंद्रपूरी मैन बाजार में इनका क्लिनिक है. फोटू खींचने देते हैं - बाबू आप भी फोटू ले सकते हो - आप भी यानि और लोग भी ले गए हैं.

बाकिया तो सब ठीक है डॉक्साब  साहेब - पर ये आइडिया किसने दिया - वो हँसते हैं - और साथ ही की दूकान की तरफ इशारा करते है - उ दूकानदार भी हंसता है..

व्हाट एन आइडिया सरजी.


डॉ रामजी लाल से प्राप्त शिक्षा
अपने हुनर से प्रेम कीजिए - उ आपको रोज़गार और इज्ज़त देता है - समाज से जोड़े रख; आपके और आपके परिवार का पेट भरता है
साईं इतना दीजिए जा में कुटुंब समाय - मैं भी भूखा न रहूँ साधु भी भूखा न जाए 
जय राम जी की.

Friday 16 December 2011

ये तेरा घर ये मेरा घर



कितना सुंदर घर है - पटना एयर पोर्ट से १०-१२ किलोमीटर दूर.. 
क्यों न याद कर लिया जाए जगजीत और चित्रा सिंह का गाया हुआ
'साथ साथ' फिल्म का ये गीत 


ये तेरा घर ये मेरा घर किसी को देखना हो गर
तो पहले आ के माँग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र
न बादलों की छाँव में, न चाँदनी की गाँव में
न फूल जैसे रास्ते बने हैं इसके वास्ते
मगर ये घर अजीब है, ज़मीन के क़रीब है
ये ईंट पत्थरों का घर, हमारी हसरतों का घर
ये तेरा घर ये मेरा घर ...


इस घर को देखिये ... गीत को सुनिए और मुस्कुराइए ...
सपनों के घर के लिए जरूरी नहीं है की आपके पास खूब सारा धन हो...:)

Tuesday 8 November 2011

मतलबी दुनिया है साहेब,

अलां मतलबी है,,
फलां मतलबी है...
और मैं कहता हूँ,
मतलबी दुनिया है साहेब, 
कई महीनों तक गणेश जी को पूजा,
कई बार इन के चरणों को छू कर तिलक माथे लगाया,
कई बार इन्ही के आसरे दिन को गुजारा ....

पर जैसे ही गणेशजी ने चमक खोई ...
तुरंत बाहर का रास्ता दिखाया..

हम तो इंसान है साहेब,
जब दुनिया भगवान को नहीं बकशती ...
तो हम जैसों को कहाँ बक्शेगी, 

निचोड़ लो जितना निचोडना है,
उसके बाद फैंक दो,
माने - दूध से मक्खी माफिक.