मंजिले हैं तो रास्ते हैं ...
रास्ते तो हैं -
पर बारिश भी है ...
और छाता नहीं ...
... पर जाना तो है
चलिए, चलते है....
यूँ ही भीगते भीगते
कुछ ख्यालों को
बुनते हुए..
चहलकदमी करते हुए...
अंदर - बाहर
भीगना है..
कुछ बारिश भिगोयेगी
और कुछ विचार...
चलिए चलते हैं....
यूँ ही भीगते भीगते
ये भीगते हुए चलने का भी अपना ही मजा है दीपक जी ....
ReplyDeleteख़ास कर जब मन बहुत उदास हो ....
♥ आपके साथ भीगने का अनुभव याद रहेगा …♥
ReplyDeleteप्रिय बंधुवर दीपक डुडेजा जी
सस्नेहाभिवादन !
बहुत बहुत बधाई है
ख़ूबसूरत चित्र देखता ही रह गया …
बहुत ख़ूब !
चलिए चलते हैं....
यूं ही भीगते भीगते
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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ReplyDeleteआपके ब्लाग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ।
ReplyDeleteआपके ब्लाग का नवीन रूप पसंद आया।
बढ़े आपके परमार्थ की कमाई।
बढ़े आपके क़द की उंचाई॥
आपके नेक कार्यों पर लोग आपकी पीठ थपथपाएं।
स्वतंत्रता-दिवस की मंगल-कामनाएं॥
जय भारत!! जय जवान! जय किसान!!
सुंदर...ऐसे चलते समय ही तो खुद के साथ होते हैं.....
ReplyDeleteभीगे भीगे है ज़ज्बात जिन्दगी के
ReplyDeleteभीगी सी आँखे ये उन यादो से .....anu
कुछ ख्यालों को
ReplyDeleteबुनते हुए..
चहलकदमी करते हुए...
अंदर - बाहर
भीगना है..
कुछ बारिश भिगोयेगी
और कुछ विचार...
waah behtreen rachna , badhai, bheegte hue ***
सुखद हरियाली जो मन को शान्ती दे
ReplyDeleteकुछ ख्यालों को
ReplyDeleteबुनते हुए..
चहलकदमी करते हुए...
अंदर - बाहर
भीगना है..
कुछ बारिश भिगोयेगी
और कुछ विचार...
बहुत सुन्दर भीगी-भीगी-सी भावाभिव्यक्ति....
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति,
ReplyDeleteसाभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आपने तो सचमुच ही भिगो दिया दीपक जी.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप आये,इसके लिए दिल से आभारी हूँ आपका.
भीगने और भीग कर चलते रहने की बात ही कुछ और है.
ReplyDeleteकुछ ख्यालों को
ReplyDeleteबुनते हुए..
सुन्दर!