Sunday 14 August 2011

चलिए चलते हैं....


मंजिले हैं तो रास्ते हैं ...
रास्ते तो हैं -
पर बारिश भी है ...
और छाता नहीं ...
... पर जाना तो है 
चलिए, चलते है....
यूँ ही भीगते भीगते

कुछ ख्यालों को 
बुनते हुए..
चहलकदमी करते हुए...
अंदर - बाहर 
भीगना है..
कुछ बारिश भिगोयेगी
और कुछ विचार...

चलिए चलते हैं....
यूँ ही भीगते भीगते

13 comments:

  1. ये भीगते हुए चलने का भी अपना ही मजा है दीपक जी ....
    ख़ास कर जब मन बहुत उदास हो ....

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  2. आपके साथ भीगने का अनुभव याद रहेगा …



    प्रिय बंधुवर दीपक डुडेजा जी
    सस्नेहाभिवादन !

    बहुत बहुत बधाई है
    ख़ूबसूरत चित्र देखता ही रह गया …

    बहुत ख़ूब !
    चलिए चलते हैं....
    यूं ही भीगते भीगते



    रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  3. आपके ब्लाग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ।
    आपके ब्लाग का नवीन रूप पसंद आया।
    बढ़े आपके परमार्थ की कमाई।
    बढ़े आपके क़द की उंचाई॥
    आपके नेक कार्यों पर लोग आपकी पीठ थपथपाएं।
    स्वतंत्रता-दिवस की मंगल-कामनाएं॥
    जय भारत!! जय जवान! जय किसान!!

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  4. सुंदर...ऐसे चलते समय ही तो खुद के साथ होते हैं.....

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  5. भीगे भीगे है ज़ज्बात जिन्दगी के
    भीगी सी आँखे ये उन यादो से .....anu

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  6. कुछ ख्यालों को
    बुनते हुए..
    चहलकदमी करते हुए...
    अंदर - बाहर
    भीगना है..
    कुछ बारिश भिगोयेगी
    और कुछ विचार...

    waah behtreen rachna , badhai, bheegte hue ***

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  7. सुखद हरियाली जो मन को शान्ती दे

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  8. कुछ ख्यालों को
    बुनते हुए..
    चहलकदमी करते हुए...
    अंदर - बाहर
    भीगना है..
    कुछ बारिश भिगोयेगी
    और कुछ विचार...


    बहुत सुन्दर भीगी-भीगी-सी भावाभिव्यक्ति....

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  9. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति,

    साभार,

    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  10. आपने तो सचमुच ही भिगो दिया दीपक जी.
    मेरे ब्लॉग पर आप आये,इसके लिए दिल से आभारी हूँ आपका.

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  11. भीगने और भीग कर चलते रहने की बात ही कुछ और है.

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  12. कुछ ख्यालों को
    बुनते हुए..
    सुन्दर!

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