Monday 23 January 2012

मक्के दी रोटी ते सरसों दा साग


लाल मिर्च दे अचार नाल  - मक्के दी रोटी ते सरसों दा साग
घी कम है - क्योंकि शरीर में कोलेस्ट्रोल ज्यादा है.
फिर भी, स्वाद ही स्वाद

इस देसी खाने का ही राज़ है कि पिज्जा के लिए स्वाद ग्रंथि अभी तक विकसित नहीं हुई.


7 comments:

  1. क्या बात है मक्की की रोटी और सरसों के साग की!!!! इसे केवल पंजाबी ही पचा सकते हैं :))

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  2. मोडरेशन में घी खाने में कोई हर्ज़ भी नहीं है .यह तो पंजाब हरियाणा का विशेष खाना है .रेशे ही रेशे स्वाद ही स्वाद .

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  3. इसके साथ कटे हुए प्याज़ थोड़ा निम्बू डाल के ट्राए कीजियेगा, लुत्फ़ आ जाएगा !!

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  4. हमने खूब खाई है। समझ सकते हैं आपके उल्लास का राज।

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  5. भले यह पंजाब का है,पर मुझे तो बेहद पसंद है, इसके सामने पिज्जा ....छोडिये जनाब ......

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
    vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

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  6. आचार्य (गिरजेश राव) मेल द्वारा:

    ये जो मिर्चे का अचार है न! पक्का हमारे यहाँ आप के यहाँ से बेहतर बनता है। सरसो के शुद्ध तेल में पगा। सरसो, अमचूर, अजवाइन, मँगरैल, जीरा आदि का भरन। वाह! इसके मसाले में चीनी मिला कर गर्मागर्म रोटी से खाइये। अलग ही स्वाद आता है।

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    1. ठाकुरों में ठाकुर - राजस्थान के; उप वालों से ऊँचें,
      लाल मिर्चों में आचार - राजस्थान का; उप वालों से ज्यादा स्वादिस्ट

      :)

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