यूँ ही एक रिमझिम दुपहरी में ... बलजीत नगर के चोहराए पर फोटू क्लिक किया की .... क्वोनो क्रांति के काम आएगी .. जय राम जी की. |
बारिशों जैसे -
क्रांतियों की भी रुत होती है..
क्रांतियों की भी रुत होती है..
और आजकल दोनों ही एक साथ हैं.....
दुपहिया वाला और रक्सेवाला सवारी सहित ..
दुपहिया वाला और रक्सेवाला सवारी सहित ..
बारिश से बचता है..... और क्रांति से भी
पनाह मांगता है......
बारिश और क्रांति दुनो से ...
टाइम खोटी .... पैसा खोटी....
मारुती वेन वाला बेफिक्र...
साधनसम्पन..
न बारिश की चिंता...
न क्रांति की...
"टाइम मिला तो मोमबत्ती जलाएंगे"
फिलहाल माल सही जगह पहुचना है.
और उ जो जूस की दूकान पर खड़े है....
उ बारिश में नहीं भीगना चाहते ...
पर क्रांति की बातें करते हैं ...
कोफ़्त होती है ... जूसवाले को.
सुसरा जूस का दुकाने नहीं हुए
@फिलहाल माल सही जगह पहुचना है
ReplyDeleteफ़िलहाल जीवित रह पाये तो बेहतरी की बाद में सोचेंगे।
वाह सुन्दर अन्दाज़ है बात कहने का।
ReplyDeleteअपनी बात रखने का अलग अंदाज़ है आपका ...बाबा जी ........बहुत खूब
ReplyDeleteबाबा से खफा होने वाले --
ReplyDeleteबाबा की बकबक बर्दाश्त करें ||
रहस्य को समझें ||
खूबसूरत तरीका ||
बधाई ||
बारिश और क्रांति दुनो से ...
ReplyDeleteटाइम खोटी .... पैसा खोटी....
सटीक पकडा, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
http://dcgpthravikar.blogspot.com/
ReplyDeleteफिल्म महा-अभियोग : कुंडली
अन्ना निर्देशक बने, फिल्म महा-अभियोग,
केजरि के बैनर तले, सारोकार- सुयोग |
सारोकार-सुयोग, सुनों सम्वाद ओम के,
फ़िदा किरण का नाट्य, वितरकी हुए रोम के |
यह फ़िल्मी इतिहास, जोड़ता स्वर्णिम पन्ना,
व्युअर-शिप का शेर, हमारा प्यारा अन्ना ||
कुंडली की
पूँछ
महा नाट्य-शाला भरे, दीवारों को तोड़ |
आगे चलते ओम जी, पीछे कई करोड़ ||
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बहुत ख़ूबसूरत और सटीक प्रस्तुति..बहुत रोचक प्रस्तुतीकरण..
ReplyDeleteशब्दक्रांति !
ReplyDeleteऔर उ जो जूस की दूकान पर खड़े है.... उ बारिश में नहीं भीगना चाहते ...पर क्रांति की बातें करते हैं ..
ReplyDeletesateek vayangya ....badhyee..sawikariye
व्यंग्य की तलवार की धार जबरदस्त है| इससे बचे ना कोय......
ReplyDeleteसही कहा...
ReplyDeleteबारिश और क्रांति दुनो से ...
टाइम खोटी .... पैसा खोटी....
सौभाग्य की आपके ब्लॉग पर आना हुआ।
ReplyDeleteबारिश में नहीं भीगना चाहते ...
पर क्रांति की बातें करते हैं ...
विद्वतापूर्ण तरीके से....
कितनी आसानी से आपने वो बात कह दी जिसे लिखने के लिए उपन्यास लिखा जाता है। छोटी सी बात में बड़ी चीजें खोज निकाली जो आपके संवेदना का परिचायक है।
सादर
आपका अंदाज़ पसन्द आया! बधाई!
ReplyDeleteबढ़िया चित्र और उसपर व्यावहारिक कविता ! अंदाज़े बयां पसंद आया !
ReplyDeletehere for the 1st time great blog..! :) and congratulations it feels really awsum when your hard work pays off.! :)
ReplyDeleteIndia is a land of many festivals, known global for its traditions, rituals, fairs and festivals. A few snaps dont belong to India, there's much more to India than this...!!!.
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