ये नहीं कहूँगा..... मैं सुबह सुबह पार्क गया था..... पर दोपहर नहीं थी.....
और ये भी नहीं कि मुझे बारिश में घूमने का शौंक है.......
पर हलकी हलकी बूंदा बांदी हो रही थी.....
और मैं कहता हूँ कि मैं पर्यावरण प्रेमी हूँ...
पर मुझे ये नहीं मालूम इस फूल का नाम क्या है...
आपको मालूम है :)
बहुत सुन्दर....अदभुद...
ReplyDeleteनाम तो मुझे भी नहीं मालुम बाबा ! किसी और से पूंछो :-)
ReplyDeleteमगर प्रकृति की खूबसूरती ऐसी है कि देखते ही रह गए !
उम्मीद है कि आपकी नज़र से बहुत कुछ नया मिलेगा जो अब तक नहीं देख पाया ...समझ पाया ...
हार्दिक शुभकामनायें नए ब्लॉग के लिए !
PS : Please remove word verification....
ghayal ki gati ghayal hi jaane usi tarah se prem ko wahi jaan sakata hai jisne kabhi na kabhi prem kiya ho ...
ReplyDeleteaap ka prakarati prem bahut hi sunder hai ham aap ke saath hai......
सुबह सुबह गया था पार्क मे
ReplyDeleteनथुनों मे अंजाने फूल की गंध भर रही थी
हल्की बदली भी थी
मद्धम मद्धम बरसात झर रही थी...
चिड़ियाँ चह चह कर रही थीं
और इसी मनमोहन मौसम के बीच
दो कजरारी भैंस चर रही थीं...
वाह! वाह! ... क्या समां बाँधा जी ...
फ़ूलों का नाम तो नहीं मालूम, पर बहुत सुन्दर हैं, बारिश में भीगा भीगा, और पीछे घास चरती हुई भैंसें, बहुत अच्छा! :)
ReplyDelete@Arun ji,
ReplyDelete@Satish Saxsena ji,
@Kuashal Mishra ji,
@Padam Singh ji
Haunsla badaane ke liye bahut bahut aabhar.
or Sunil Ji,
Aajkal aap se bahut prerna paa rhaa hoon...
blog par padharne ke liye aabhar.
भाई नाम तो बेरा कोनी पर फ़ूल और जगह घणी सोवणी लाग री सै. तबियत खुश होगई या फ़ोटो देखकै.
ReplyDeleteरामराम.
गुड़हल की ही वैराइटी है....
ReplyDeleteआपका ब्लॉग बहुत सुंदर है, और फ़ोटो भी, बधाई स्वीकारें !
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
beautiful post....deepak ji
ReplyDeleteब्लॉग बहुत सुंदर है
ReplyDeleteजिन्दगी हूँ ही फूलो सी
ReplyDeleteमहकती रहे ...
बरसे सावन
यूँ ही अपनी एक अलग
छटा लिए
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anu