Tuesday 8 November 2011

मतलबी दुनिया है साहेब,

अलां मतलबी है,,
फलां मतलबी है...
और मैं कहता हूँ,
मतलबी दुनिया है साहेब, 
कई महीनों तक गणेश जी को पूजा,
कई बार इन के चरणों को छू कर तिलक माथे लगाया,
कई बार इन्ही के आसरे दिन को गुजारा ....

पर जैसे ही गणेशजी ने चमक खोई ...
तुरंत बाहर का रास्ता दिखाया..

हम तो इंसान है साहेब,
जब दुनिया भगवान को नहीं बकशती ...
तो हम जैसों को कहाँ बक्शेगी, 

निचोड़ लो जितना निचोडना है,
उसके बाद फैंक दो,
माने - दूध से मक्खी माफिक.

Saturday 5 November 2011

जिजीविषा


नारायणा फेज दो .. के गेट पर बिंदा की जूता रिपेर करने की दूकान..
बूट पोलिश १० रुपे ..
बूट का सोल... ५० रुपे (कोई लगवाता नहीं)
तस्मे (फीते) : १० रुपे ..
पुरे दिन की कमाई ९०-१०० रुपे

खुद खर्च किये : २० रुपे का देसी का अद्धा.. १० रुपे की मच्छी.... 
५०-६० रुपे घरवाली को दिए..
......
जिन्दा रहने की चाहत....



उन्ही की दूकान पर कठोती में डूबा ततैया....
१५ मिनट से बहार निकलने की कोशिश में है..
बिंदा कहता है... कोशिश करने दीजिए..  खुदे बाहर आ जाएगा..
गर मर गया तो?
नहीं, साहेब, मरने नहीं देंगे..
खुद नहीं निकल पाया तो मैं ही निकाल दूँगा..

बिंदा, सरकार का तो कोई दोष नहीं है रे....
वे भी न मरने देती है न जीने...
तेरी तरह खेल रही है...

पर हमें तो जिन्दा रहना है.