Saturday, 20 August 2011

बारिश और क्रांति

यूँ ही एक रिमझिम दुपहरी में ...
बलजीत नगर के चोहराए पर
फोटू क्लिक किया की ....
क्वोनो क्रांति के काम आएगी ..

जय राम जी की.
बारिशों जैसे -
क्रांतियों की भी रुत होती है.. 
और आजकल दोनों ही एक साथ हैं.....
दुपहिया वाला और रक्सेवाला सवारी सहित ..
बारिश से बचता है..... और क्रांति से भी 
पनाह मांगता है...... 
बारिश और क्रांति दुनो से ...
टाइम खोटी .... पैसा खोटी....

मारुती वेन वाला बेफिक्र...
साधनसम्पन..
न बारिश की चिंता...
न क्रांति की... 
"टाइम मिला तो मोमबत्ती जलाएंगे" 
फिलहाल माल सही जगह पहुचना है.

और उ जो जूस की दूकान पर खड़े है.... 
उ बारिश में नहीं भीगना चाहते ...
पर क्रांति की बातें करते हैं ... 

कोफ़्त होती है ... जूसवाले को.
सुसरा जूस का दुकाने नहीं हुए 

Sunday, 14 August 2011

चलिए चलते हैं....


मंजिले हैं तो रास्ते हैं ...
रास्ते तो हैं -
पर बारिश भी है ...
और छाता नहीं ...
... पर जाना तो है 
चलिए, चलते है....
यूँ ही भीगते भीगते

कुछ ख्यालों को 
बुनते हुए..
चहलकदमी करते हुए...
अंदर - बाहर 
भीगना है..
कुछ बारिश भिगोयेगी
और कुछ विचार...

चलिए चलते हैं....
यूँ ही भीगते भीगते

Friday, 12 August 2011

बारिश में नहाये फूल



ये नहीं कहूँगा..... मैं सुबह सुबह पार्क गया था..... पर दोपहर नहीं थी.....
और ये भी नहीं कि मुझे बारिश में घूमने का शौंक है.......
 पर हलकी हलकी बूंदा बांदी हो रही थी.....
और मैं कहता हूँ कि मैं पर्यावरण प्रेमी हूँ...
पर मुझे ये नहीं मालूम इस फूल का नाम क्या है...
आपको मालूम है :)